आखिर क्यों सिटी मजिस्ट्रेट ने कैविएट दाखिल कर मांगी माफी
कैविएट दाखिल करने पर सिटी मजिस्ट्रेट को मांगनी पड़ी क्षमा
डीएम के साथ सिटी मजिस्ट्रेट हाईकोर्ट में हुई थी पेश
केएम हाउस को गिराने का आदेश किया निरस्त, पुन सुनवाई के आदेश
फर्रुखाबाद। उच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल करने में सिटी मजिस्ट्रेट को माफी मांगनी पड़ गई। न्यायमूर्ति ने ऐसी गलती दोबारा न दोहराने की शर्त पर माफीनामा को स्वीकार किया। सिटी मजिस्ट्रेट और डीएम द्वारा केएम हाउस को गिराने के आदेश को निरस्त कर दिया है। दोबारा से सुनवाई करने का आदेश दिया है। तीन सप्ताह में पीड़ित को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
शहर के ठंडी सड़क किनारे स्थित केएम हाउस व होटल तालाब की जमीन पर बना हैं। इसको लेकर सिटी मजिस्ट्रेन ने उसको गिराने का आदेश 21 दिसंबर को दिया था। जिस आदेश के खिलाफ केएम हाउस के मालिक गौरव अरोड़ा ने डीएम के यहां अपील की। डीएम ने 9 फरवरी को अपील खारिज कर गिराने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट दायर की गई। गौरव अरोड़ा को स्टे न मिल सके, इसके लिए सिटी मजिस्ट्रेट दीपाली भार्गव ने कैविएट दाखिल कर दी। कैविएट किस आधार पर दाखिल की गई, इसका जबाव देने के लिए न्यायामूर्ति ने डीएम संजय कुमार सिंह व सिटी मजिस्ट्रेट दीपाली भार्गव को तलब किया था। गुरुवार को डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट उच्च न्यायालय में उपस्थित हुए। कैविएट दाखिल करने के मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने माफी मांगी। न्यायमूर्ति ने कहा कि न्याय के सिद्धांतों को पर्याप्त पालन न करते हुए 21 दिसंबर और 9 फरवरी को आदेश जारी किया गया। इन दोनों आदेश को निरस्त कर दोबारा सुनवाई करने का आदेश नियत प्राधिकारी को दिया है। याचिकाकर्ता तीन सप्ताह में अपना पक्ष दखिल करेंगे। फिर निस्तारण किया जाएगा।