December 11, 2024

गोंडा में बेटी के शव को गोद उठाकर बाइक से ले गया पिता

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गोंडा में मानवता हुई शर्मसार
शव से जाने के लिए न स्ट्रेचर मिला न वाहन, जिला अस्पताल के स्वास्थ्य व्यनस्था की खुली पोल

अमन खान
गोंडा। मंडल मुख्यालय के लाइफ लाइन कहे जाने वाले बाबू ईश्वर शरण जिला अस्पताल से एक फिर मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। जिला अस्पताल में एक पिता को अपनी बेटी के शव को ले जाने के लिए न तो स्ट्रेचर मिला और न ही शव वाहन। लाचार पिता बेटी का शव गोद में उठाए अस्पताल में घूमता रहा लेकिन जिम्मेदार उससे डीजल के पैसे मांगते रहे। आखिरकार लाचार होकर उसे बाइक पर बेटी का शव रखकर घर ले जाना पड़ा। बाइक पर बेटी का शव उठाए बेबस‌ पिता की यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
जिले के देहात कोतवाली क्षेत्र के गुलगुलिया गांव रहने वाली एक किशोरी को किसी जहरीले जंतु ने काट लिया था। बेहोशी की हालत‌ में उसका पिता इलाज के लिए उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचा तो डाक्टरों ने अस्पताल की दूसरी मंजिल पर स्थित मेडिकल वार्ड में उसे भर्ती करा दिया लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।‌ बेटी की मौत के गम में डूबा पिता को स्ट्रेचर के अभाव में शव गोद में लेकर दूसरी मंजिल से नीचे उतरना पड़ा।‌ नीचे पहुंचकर उसने जिम्मेदारों से बेटी का शव घर ले जाने के लिए शव वाहन की मांग की तो उससे डीजल के पैसे मांगे गए। उसने पैसे देने में असमर्थता जताई तो चालक ने वाहन ले जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद लाचार पिता बेटी के शव को बाइक पर लादकर घर ले गया। जिसने भी इस दृष्य को देखा वह इस सरकारी व्यवस्था को कोसता नजर आया। बेटी के शव को गोद में उठाए लाचार पिता की यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

अस्पताल के तीन शव वाहन में से दो खराब
जिला अस्पताल को शव ले जाने के लिए तीन वाहन मिले थे। जिसमें एक शव वाहन जिला अस्पताल तथा दो सीएमओ ऑफिस से संबद्ध है। तीन वाहन होने के बाद भी लोगों को शव जाने के लिए वाहन नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल के कर्मचारियों की बात माने तो दो वाहन खराब पड़े हैं। उनकी मरम्मत कराने के लिए शासन से पत्राचार किया गया है। वर्तमान में वाहनों में तेल डलवाने के बाद ही वाहन ले जा सकते हैं।

डीजल डलवाकर ले जाएं वाहन

अस्पताल स्वशासी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हो गया है। 31 मार्च के बाद शासन से कोई बजट नहीं मिला है। ऐसी मजबूरी में हम लोग क्या करें। सिर्फ एक ही व्यवस्था बनती है। पीड़ित परिवार वाहन में डीजल डलवाए फिर उसे ले जाए।

डा पीडी गुप्ता, सीएमएस- जिला अस्पताल

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