जिले के 960 टीबी रोगी इलाज से हुए स्वस्थ्य
टीबी मरीजों के सच्चे मददगार बने चैम्पियन, टीबी मरीजों का बढ़ा रहे मनोबल
भ्रांतियों को दूर कर नियमित दवा सेवन की समझा रहे अहमियत
बहराइच। टीबी से पूरी तरह स्वस्थ हो चुके लोगों को चैम्पियन का दर्जा मिला तो जनपद के 2100 टीबी मरीजों के इलाज की राह आसान हो गयी। वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग से प्रशिक्षित 13 चैम्पियन टीबी मरीजों के हमदर्द बनकर उन्हें दवाओं के नियमित सेवन की अहमियत समझा रहे हैं। उनके इसी प्रयास का नतीजा है कि बीते छह माह में 960 टीबी रोगी स्वस्थ हो चुके हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ संदीप मिश्रा ने बताया कुछ मरीज भ्रांतियों के चलते व कुछ मरीज आराम मिलने पर दवाओं का सेवन बंद कर देते हैं। इस वजह से टीबी और भी गंभीर हो जाती है। ऐसे में चैम्पियन टीबी मरीजों की शंकाओं का समाधान कर उन्हें नियमित दवाओं के सेवन की अहमियत समझा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रयास से छह माह में दवाओं का पूरा कोर्स लेने वाले 960 टीबी रोगी स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं अक्टूबर 2022 से अभी तक बीच में इलाज छोड़ चुके 16 मरीजों ने पुनः इलाज शुरू किया है। इलाज ले रहे टीबी मरीजों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में जांच व इलाज की सुविधा के साथ टीबी चैम्पियन के माध्यम से हमारी शंकाएं भी दूर हो जाती हैं और मनोबल बढ़ता है। डीएचईआईओ बृजेश सिंह का कहना है कि अभिषेक की तरह जिले के अन्य टीबी चैम्पियन फोन पर या व्यक्तिगत तौर पर अपना अनुभव साझाकर मरीजों की मदद में जुटे हैं और जहाँ जरूरत होती है वहां विभाग की भी मदद लेते हैं। वह मरीजों को बताते हैं कि जब वह टीबी ग्रसित थे तो उनके सामने भी ऐसी ही दिक्कत आई थी जो कि इलाज के साथ धीरे-धीरे दूर हो गई।
हारी हुई जिंदगी को मिली जीने की आशा
कैसरगंज निवासी 30 वर्षीय आनंद वर्मा तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। वह खेती किसानी करते हैं। आनंद बताते हैं कि बीते जून माह में शरीर में छोटी-छोटी गिल्टियां और फोड़े निकल आए थे। करीब डेढ़ माह टीबी की दवाएं लेने के बाद भी फोड़ों से मवाद बहना बंद नहीं हुआ | ऐसे में लगा कहीं यह कैंसर तो नहीं है। जीवन की आस ख़त्म सी होने लगी | इसी बीच टीबी चैंपियन अभिषेक वर्मा से मुलाक़ात हुई। उनके अनुसार टीबी सिर्फ फेफड़ों में ही नहीं बल्कि नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। उन्होंने बताया बीच में दवाओं का सेवन बंद होने से वह भी गंभीर टीबी की चपेट में आ गए थे। ऐसे में सीएचसी कैसरगंज के सीनियर ट्रीटमेंट ऑफिसर ने भरोसा दिलाया था कि दवाओं का पूरा कोर्स करने से मैं टीबी मुक्त हो जाऊंगा और दो साल नियमित दवाओं के सेवन से मैं टीबी मुक्त हो गया। आनंद का कहना है कि अभिषेक से मिलने के बाद शंकाओं का समाधान हुआ और जीने की आस भी बढ़ गयी। आज मैं पहले से ज्यादा स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ।
शंकाओं को दूर कर कराएं इलाज
सीएमओ डॉ सतीश कुमार सिंह ने बताया कि समाज में अभी भी लोग टीबी मरीज से दूरी बनाकर रहना चाहते हैं। इसकी वजह से टीबी मरीज अपनी समस्याएं किसी के साथ साझा नहीं करते । ऐसे में टीबी मरीजों की शंकाओं को दूर कर उन्हें मानसिक संबल प्रदान करने में टीबी चैम्पियन की महत्वपूर्ण भूमिका है।