भेदभाव के बजाए कुष्ठ रोगियों के इलाज में करें सहयोग: सीएमओ
स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की जनपद में हुई शुरुआत, 13 फरवरी तक चलेगा अभियान
बहराइच। कुष्ठ रोग कोई पूर्व जन्म का अभिशाप नहीं है, बल्कि माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु इस रोग का कारण हैं। यह एक दीर्घकालीन संक्रामक रोग है जो एमडीटी दवाइयों के 6 से 12 माह तक नियमित व पूर्ण सेवन से रोगी कुष्ठ मुक्त हो जाता है।
यह बातें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर जिला कुष्ठ आश्रम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार सिंह ने कही । उन्होंने कहा उपचार से कुष्ठ रोग न सिर्फ पूरी तरह ठीक हो जाता है बल्कि शीघ्र उपचार से इससे होने वाली विकलांगता से भी बचा जा सकता है। उन्होंने राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित कर स्वास्थ्य कर्मियों को कुष्ठ रोगी की शीघ्र पहचान करने व उनसे भेदभाव न करने की शपथ दिलाई । साथ ही उन्होंने कुष्ठ आश्रम में मौजूद कुष्ठ रोगियों को एमसीआर फुटवियर व सेल्फ केयर किट का वितरण कर 13 फरवरी तक चलने वाले स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की शुरुवात भी की। जिला कुष्ठ परामर्शदाता डॉ विनय श्रीवास्तव ने बताया कि लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगी की शीघ्र पहचान की जा सकती है । इससे जहां एक ओर रोगी का त्वरित इलाज शुरू हो जाता है वहीं रोग का प्रसार दर कम करने में भी मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि जनपद के 14 ब्लाकों में कुल 231 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है। साथ ही 83 रोगियों को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास भी प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ पीके वर्मा, एसीएमओ डॉ पीके बांदिल, एसीएमओ डॉ संतोष राणा , फिजियोथेरेपिस्ट वर्षा श्रीवास्तव सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे ।
कुष्ठ रोग के लक्षण –
सामान्य त्वचा की तुलना में हल्के रंग के , लाल अथवा ताँबे के रंग के दाग होना
त्वचा में गाँठ बनना
कान का मोटा होना
आँख बंद करने पर पलक बंद नहीं होना
पैर, हाथ या शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द रहित छाले
उँगलियों में कमजोरी या टेंढ़ापन / हथेली में सुन्नता
हाथ की मांसपेशियों में कमजोरी , हाथ की कलाई झूल जाना
पैर के तलवे में सुन्नपन , मांसपेशियों में कमजोरी , पंजे का झूल जाना
कोहनी , घुटने या गर्दन के पास तंत्रिकाओं में मोटापन , दर्द अथवा झंझनाहट
नाक की हड्डी के गलने से नाक का दब जाना